आत्मनिर्भरता गतिशील उर्जा है !!
• आत्मा स्वतंत्रत सत्ता है, स्वंयभू है, जो स्वयं पर निर्भर है, वही सत्यम् - शिवम् - सुन्दरम है,
• आत्मनिर्भरता गतिमान उर्जा है,
• आत्मनिर्भर व्यक्ति और समाज में राष्ट्रीयता की भावना शिखर तुंग रहता है,
• आत्मनिर्भर व्यक्ति और समाज को निराशा का साक्षात्कार नहीं होता है,
• पर निर्भरता यदि दासता नहीं है, तो दासता से कम है क्या ?
• पर निर्भर व्यक्ति और समाज में आत्म स्वाभिमान की भावना धुमिल हो जाती है,
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कोविद - 19 महामारी के संकटकाल में देश को संबोधित करते हुए "आत्मनिर्भर भारत" की बात कही थी, उन्होंने Covid -19 महामारी से पहले और बाद की दुनियाँ के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 21 वी शताब्दी के भारत के सपने साकार करने के लिए, देश को आत्मनिर्भर बनना जरूरी है, भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा,
प्रधानमंत्री जी ने उच्च कण्ठ से 125 करोड़ भारतवासियों से आवाहन किया कि कोविद- 19 महामारी के संकटकाल को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, और आत्मनिर्भर भारत संकल्प को प्रोत्साहन के लिए एक बड़ी आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जो राशि भारत के " सकल घरेलू उत्पाद "( Gross Domestic Product ) के लगभग 10% प्रतिशत के बराबर है,
इतना ही नहीं पैकेज में, भूमि, श्रम, तरलता, और कानून (Land, Labour,Liquidity & Lows ) चार "L" पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया,
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का "आत्मनिर्भर भारत" का संकल्प कोरा घोषणा पत्र नहीं है, संकल्प को साकार रूप देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं,
कोविद -19 महामारी के संकटकाल में देश अति आवश्यक उपकरणों का निर्यात करने के लिए मजबूर था, किन्तु अब वह उपकरण देश ही बनने लगे हैं, • एन -95 माक्स, • भिंडी लट, • दास्तानें,• पी.पी.ई किट्स, आदि उच्च मानक वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता था,
आत्मनिर्भर भारत संकल्प के तहत स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, • एन -95 माक्स, • भिंडी लेट • दास्तानें, • पी पी ई किट्स, आदि के सैकड़ो कारखाने लगाये गये हैं, जिन वस्तुओं के घरेलू आपूर्ति के लिए हमे विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था, उन क्षेत्रों में एक के बाद एक कई नए , सुक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग लगाये जा रहे हैं, देश अति शीघ्र ही घरेलू आपूर्ति के बाद पड़ोसी देशों में निर्यात करेगा, जिस से देश के "सकल घरेलू उत्पाद" GDP को बल मिलेगा,
आत्मनिर्भर भारत के संकल्पना की सफलता के लिए पांच नए नियम बनाये गए हैं, वह मिशन के पांच स्तंभ है, यानी आत्मनिर्भर भारत पांच स्तंभों पर खड़ा है,
1 • अर्थव्यवस्था: - जो वृद्धिशील परिवर्तन ( Incremental ) के स्थान पर बड़ी उछाल ( Quantum Jamp ) पर आधारित है,
2 • प्रौद्योगिकी: - (Technology ) 21 वी सदी का प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली होगी,
3 • मांग और आपूर्ति: - ( Demand & supply ) के लिए श्रंखला क्षमता का उपयोग किया जाएगा,
4 • गतिशील जनसांख्यिकीक : - (Vibrant Demographiy ) आत्मनिर्भर भारत के लिए उर्जा का स्रोत है,
५ • अवसंरचना: - (Infrastructure ) अवसंरचना भारत की पहचान होगी,
मिशन के चरण: -
आत्मनिर्भर भारत मिशन को दो चरण में लागू किया जाएगा,
1 • प्रथम चरण में • चिकित्सा, • वस्त्र, • प्लास्टिक, • खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा, ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके,
2 • द्वितीय चरण में • रत्न, • आभूषण, • फार्मा, • स्टील आदि क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा,
MSMEs की परिभाषा में परिवर्तन: -
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार "लघु उद्योग" लघु उद्योग ही बने रहना चाहतें हैं, क्योंकि उन्हें लघु उद्योग बने रहने में ही अनेकों लाभ मिलतें है, अतः सुक्ष्म, लघु, एवं, मध्यम उद्योग ( Micro, Small, & Mediums Enterprise ) MSMEs की परिभाषा में बदलाव की लगातार मांग की जा रही थी,
उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत MSMES की परिभाषा में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए,
• निवेश के सीमा में संशोधन किया गया है,
• कंपनियों के टर्नओवर के मापदंडों में बदलाव किए गए,
• निर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच अन्तर को समाप्त कर दिया गया,
निवेश की सीमा और मापदंडों में परिवर्तन : -
1 • सुक्ष्म विनिर्माण और सेवा कंपनियों में मौजूदा निवेश की सीमा (अधिकतम निवेश विनिर्माण कंपनियों में 25 - लाख रुपये और सेवा कंपनियों में 10 - लाख रुपये है) को बढाकर 1 -करोड रुपये कर दिया गया, टर्नओवर का मापदंड < 5 करोड़ तक तय किया गया है,
2 • लघु विनिर्माण और सेवा कंपनियों में मौजूदा निवेश की सीमा ( अधिकतम निवेश विनिर्माण कंपनियों में < 5 करोड़ रुपये और सेवा कंपनियों में < 2 करोड़ रुपया है) को बढाकर 10 - करोड़ रुपये कर दिया गया, टर्नओवर < 50 करोड़ तक तय किया गया है,
3 • मध्यम विनिर्माण और सेवा कंपनियों में मौजूदा निवेश की सीमा ( अधिकतम निवेश विनिर्माण कंपनियों में < 10 करोड़ रुपये और सेवा कंपनियों में < 5 करोड़ रुपये है) को बढाकर < 20 करोड़ तक कर दिया गया, टर्नओवर < 100 करोड़ तक किया गया है,
MSMEs की परिभाषा में संशोधन के बाद उधोग को उनके आकर के कारण होने वाले लाभ से संबंधित समस्या का समाधान हो जाएगा किन्तु नवीन परिभाषा के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना होगा,
क्रेडिट गारंटी और बैंक लोन : -
# बैंक ऋण : - ( Bank Loan ) बैंक द्वारा MSMEs को दिये जाने वाले ज्यादातर ऋण कंपनी की संपत्ति ( Assets ) के अधार पर दिया जाता है, लेकिन संकटकाल में कंपनी की संपत्ति के मूल्यों में गिरावट हो सकती है, और इससे कंपनी की ऋण लेने की क्षमता बाधित हो सकती है, अर्थात संकट के समय कंपनी के संपत्ति की कीमतों में गिरावट होने पर बैंक कंपनी को ऋण देने कम कर देते हैं,
# क्रेडिट गारंटी : - आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत MSMEs को बैंक द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक सहायता (ऋण) सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा क्रेडिट गारंटी की घोषणा की गई है,
क्रेडिट गारंटी क्या है ?
MSMEs को आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाती है कि यदि MSMEs बैंक का ऋण चुकाने में समर्थन नहीं है, तो ऋण सरकार द्वारा अदा किया जाएगा, अर्थात सरकार द्वारा यदि किसी कंपनी या फार्म को एक करोड़ रुपए के ऋण पर 100% प्रतिशत क्रेडिट गारंटी दी जाती है इसका अर्थ यह है कि बैंक उस फॉर्म या कंपनी को एक करोड़ उधार दे सकता है, यदि कंपनी बैंक के ऋण का भुगतान नहीं करता या ऋण वापस करने में असमर्थ है, तो सरकार बैंक को एक करोड़ का भुगतान करेगा,
" आत्मनिर्भर भारत मिशन " भारतीय जनता पार्टी के आर्थिक दर्शन " एकात्मक मानव वाद" से जुड़ी हुई एक कड़ी है, जीसके रचनाकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को देश के 125 करोड़ जनता द्वारा अपने दिवंगत विचार के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है,
"एकात्म मानव वाद" एक ऐसी धारणा है, जीस में सृष्टि समाहित हैं, जिसे चक्राकार, मण्डलाकृति द्वारा स्पष्ट रूप में समझा जा सकता है, जिसके केन्द्र में व्यक्ति हैं, व्यक्ति से जुड़ा एक घेरा परिवार, परिवार से जुड़ा एक घेरा समाज, वर्ग, जाती, फिर, राष्ट्र, विश्व और एवं अंनत ब्रहमांड को अपने में समाविष्ट किया है,
इस अखण्ड मण्डलाकार आकृति में एक धाप से दुसरे, दुसरे धाप से तीसरे धाप का क्रमशः विकास होता जाता है, अपना अस्तित्व साधते हुए सभी एक दुसरे से जुड़े हुए पूरक और स्वाभाविक सहयोगी हैं, इन में आपस में कोई संघर्ष नहीं है,
"आत्मनिर्भर भारत" मिशन के केन्द्र में व्यक्ति हैं, व्यक्ति से जुड़े परिवार, परिवार से जुड़े समाज, समाज से जुड़े, देश है, अगर व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा, तो परिवार, समाज एवं राष्ट्र भी क्रमशः आत्मनिर्भर बन जाएगा,
वैश्विकरण के युग में आत्मनिर्भरता ( Self Reliance ) की परिभाषा में बदलाव आया है, आत्मनिर्भर आत्मकेंद्रित ( Self Centered ) से अलग है,
भारत बसुधैव कुटुंबकम की संकल्पना में विश्वास रखता है, चुंकि भारत दुनियाँ का ही एक हिस्सा है, अतः भारत प्रगति करता है तो इसका शुभ प्रभात विश्व पर भी दिखेगा, अर्थात वह दुनियाँ के प्रगति में योगदान देगा,
आलोचना :-
सरकार द्वारा घोषित पैकेज में सब्सिडी, वेतन का भुगतान आदि शामिल होता है, जिस का लाभ वास्तविक लाभार्थियों को सीधे प्राप्त होता है, किन्तु सरकार द्वारा दी जाने वाली अप्रत्यक्ष साहायता जैसे - भारतीय रिजर्व बैंक RBI के ऋण सुगमता आदि उपायों का लाभ सीधे लाभार्थियों तक नहीं पहुंचती है, RBI द्वारा दी जाने वाली साहयता को बैंक ऋण देने के वजाय पूनः RBI के पास ही सुरक्षित रख सकते हैं, हाल ही में भारतीय बैंकों पर केन्द्रीय बैंकों में 8.5 करोड़ रुपये जमा करने के आरोप लगे हैं, MSMEs
घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्यों से बहुत कम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें RBI द्वारा पूर्व में घोषित राजकोषीय पैकेज को भी शामिल किया गया है, इस प्रकार घोषित पैकेज की राशि GDP के 10% प्रतिशत होने के वावजूद प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक 5% प्रतिशत से भी कम पहुचने कि उम्मीद है,
MSMEs - की नई परिभाषा वैश्विक स्तर का नहीं है, क्योंकि < 5 करोड़ निवेश वाले कंपनी को लघु उद्योग माना गया है, परन्तु वैश्विक स्तर पर 75 करोड़ निवेश वाले कंपनी को लघु उद्योग के श्रेणी में रखा गया है,
सारांश :-
सरकार की योजना एवं नीतियों का आलोचना विरोधी धर्म हो सकता है, किन्तु राष्ट्रहित की अवहेलना देश के साथ धोखा है, "आत्मनिर्भर भारत मिशन " की सफलता गरिमामय भारत को विश्वपटल पर आर्थिक रूप से संपन्न राष्ट्रों के कतार में खड़ा कर देगा !!! !!!
अशोक कुमार सिंह
प्रधान संपादक हूल एक्प्रेस
( राष्ट्रीय हिन्दी पाक्षिक ) अ
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