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Showing posts from March, 2021

अप्रैल फूल" का ऐतिहासिक सत्य क्या है ?

अप्रैल फूल" का ऐतिहासिक सत्य क्या है ? इसे जानकर आप हैरान हो जायेगे, सन् 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान जारी किया, उस के पहले भारत ही नहीं विश्व के अधिकांश देश सनातन  विक्रम संवत् तिथि कलेण्डर का ही अनुसार करते थे,  १ अप्रैल विक्रम संवत तिथि कलेण्डर का प्रथम दिन है, शुक्ल प्रतिपदा से पवित्र महिना का शुभारंभ होता है, सनातन परम्परा के अनुसार समस्त मांगलिक कार्य शुक्ल प्रतिपदा १ अप्रैल के दिन से होता है, वाणिज्य और बैंकों के पिछले वर्ष के वही खाते ३१ मार्च को बन्द कर १ अप्रैल से नया वर्ष का वही खाते चालू किया जाता है, किन्तु अग्रेजों ने साजिश के तहत हिन्दूओं के पवित्र तिथि को (अप्रैल फूल )मूर्खता दिवस बनाने का घिनोना कार्य किया है, दरसल जब भारतियों पर अग्रेजी कलेण्डर को थोपा गया उस समय भारत में ब्ररिटिश सम्राज्य का बोलबाला था, ईसाईयत का प्रचार करने एवं विक्रम संवत के महत्व को धुमिल करने के मनसा से "अप्रैल फूल " का सड़यन्त्र रचा था, बड़े ही चालाकी से धीरे - धीरे इसे परम्परा का रूप दे दिया गया, और समस्त हिन्दू समाज इससे अनभिज्ञ रहा,  गुलाम मानसि...

उज्जैन धरा पर स्वर्ग है !!

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मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक नगर उज्जैन स्वर्ग है ऐसा सुनकर आपको आश्चर्य अवश्य होगा किन्तु यह सत्य है,इसके भोगोलिक संरचना और धार्मिक आस्था इस पावन नगरी को स्वर्ग बनाता है,  भूखण्ड पर यह ऐसी नगरी है, जहाँ शक्तिपीठ भी है और ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन भी इस पावन नगरी में होता रहा है। कालो के काल महाकाल, कालभैरव, गढकालिका और अर्धकाल भैरव यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है, इस भूखण्ड पर चिंतामन,मंछामन, इच्छामन, तीन श्री गणेश जी विराजमान है। उज्जैन भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा भूमि है, जहाँ 84 महादेव और सात सागर है। मंगल ग्रह का उत्पत्ति केन्द्र उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है, उन ८ देवताओं को अमरता का वरदान प्राप्त है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर ) विश्व में एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी उज्जैन का गौरवशाली इतिहास का साक्षी है , यहाँ के शमशान को तीर्थ का गर्व प्राप्त है महाराजा विक्रमादित्य ने अपने स्वर्ण काल में इस धरा का खूब मान बढ़ाया है। उनके शासनकाल में सोने के सिक्के चलते थे,भारत को सोने की चिड़िया कहाँ जाना सम्राट विक्रम...

गृहस्थ प्रचारक श्री भैयाजी दाणी

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  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परम्परा में प्रचारक अविवाहित रहकर काम करते हैं; पर कुछ अपवाद भी होते हैं।ऐसे गृहस्थ प्रचारकों की परम्परा के जनक "प्रभाकर बलवन्त दाणी" का जन्म 9 अक्तूबर, 1907 को उमरेड, नागपुर में हुआ था। आगे चलकर ये भैया जी दाणी के नाम से प्रसिद्ध हुए। आप सम्पन्न पिता के इकलौते पुत्र थे। उनके पिता श्री बापू जी लोकमान्य तिलक के भक्त थे। अतः घर से ही देशप्रेम के बीज उनके मन में पड़ गये थे, जो आगे चलकर डा. हेडगेवार के सम्पर्क में आकर पल्लवित पुष्पित हुए। भैया जी ने मैट्रिक तक पढ़ाई नागपुर में की। इसके बाद डा. हेडगेवार ने उन्हें पढ़ने के लिए काशी भिजवा दिया। वहाँ उन्होंने शाखा की स्थापना की। नागपुर के बाहर किसी अन्य प्रान्त में खुलने वाली यह पहली शाखा थी।  इसी शाखा के माध्यम से के माध्यम से श्री गुरूजी को  भैयाजी दाणी ही संघ मे लाये थे, जो डा. हेडगेवार के देहान्त के बाद सरसंघचालक बने। काशी से लौटकर भैया जी ने नागपुर में वकालत की पढ़ाई की; पर संघ कार्य तथा घरेलू खेतीबाड़ी की देखभाल में ही सारा समय निकल जाने के कारण वे वकालत नहीं कर सके। विवाह के बाद भी उनका अधिकांश...

मा. दत्तात्रेय होसबोले

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  मा० दत्तात्रेय होसबोले जी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दायित्व  दिये जाने पर संघ परिवार की तरफ़ से हार्दिक शुभकामनायें बहुत बहुत बधाइयाँ ।  दिनांक 01 दिसम्बर, 1955 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के सोराबा तालुक़ के आपका जन्म हुआ। इन्होंने अंग्रेज़ी विषय से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की है। दत्तात्रेय होसबोल जी 1968 में 13 वर्ष की अवस्था में संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े। अगले 15 वर्षों तक ये परिषद् के अ भा संगठन मंत्री रहे। सन् 1975-77 के जेपी आन्दोलन में भी सक्रिय रहे और लगभग पौने दो वर्ष आपने ‘मीसा’ के अंतर्गत जेलयात्रा भी की। जेल में इन्होंने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सन् 1978 में नागपुर नगर सम्पर्क प्रमुख के रूप में विद्यार्थी परिषद् में पूर्णकालिक कार्यकर्ता हुए। विद्यार्थी परिषद् में आपने अनेकों दायित्वों का निर्वहण करते हुए परिषद् के राष्ट्रीय संगठन-मंत्री के पद को सुशोभित किया। गुवाहाटी में युवा विकास केन्द्र के संचालन में आपकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर भ...