उज्जैन धरा पर स्वर्ग है !!
मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक नगर उज्जैन स्वर्ग है ऐसा सुनकर आपको आश्चर्य अवश्य होगा किन्तु यह सत्य है,इसके भोगोलिक संरचना और धार्मिक आस्था इस पावन नगरी को स्वर्ग बनाता है,
भूखण्ड पर यह ऐसी नगरी है, जहाँ शक्तिपीठ भी है और ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन भी इस पावन नगरी में होता रहा है।
कालो के काल महाकाल, कालभैरव, गढकालिका और अर्धकाल भैरव यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है, इस भूखण्ड पर चिंतामन,मंछामन, इच्छामन, तीन श्री गणेश जी विराजमान है।
उज्जैन भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा भूमि है, जहाँ 84 महादेव और सात सागर है। मंगल ग्रह का उत्पत्ति केन्द्र उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है, उन ८ देवताओं को अमरता का वरदान प्राप्त है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर )
विश्व में एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी उज्जैन का गौरवशाली इतिहास का साक्षी है , यहाँ के शमशान को तीर्थ का गर्व प्राप्त है
महाराजा विक्रमादित्य ने अपने स्वर्ण काल में इस धरा का खूब मान बढ़ाया है। उनके शासनकाल में सोने के सिक्के चलते थे,भारत को सोने की चिड़िया कहाँ जाना सम्राट विक्रमादित्य जी के शासनकाल उस का स्टीक उदाहरण है,सम्राट विक्रमादित्य जी के नाम से ही विक्रम संवत का शुभ आरंभ हुआ जो हर साल चैत्र माह के प्रति प्रदा के दिन मनाया जाता है,
प्राकृतिक सोन्दर्य के कारण कश्मीर को स्वर्ग कहा जाता होगा किन्तु भोगोलिक और धार्मिक महत्व के दृष्टिकोण से उज्जैन पृथ्वी पर स्वर्ग है, कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजराती है,एवं ग्रह - नक्षत्रों की भोगोलिक गणना उज्जैन से ही होती है, कालों के काल भगवा महाकाल जी का मंदिर विश्व का केंद्र विन्दु है, महाभारत की एक कथा में उज्जैन को स्वर्ग कहाँ गया है।
उज्जैन महाकवि कालिदास जी का भूमि है।यदि आप कालों के काल महाकाल महाराज के प्रेमी व भक्त हैं तो इस संदेश सभी शिव भक्तों तक पहुंचाए। हर -हर महादेव जय श्री महाकाल !!
सादर प्रणाम
अशोक कुमार
जमुड़िया, पश्चिम बर्धमान
पश्चिम बंगाल
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