लक्ष्य हीन सेना .... ।।

दुश्मन का पहचान करने में असफल, नेतृत्वहीन, लक्ष्य हीन सेना चाहें कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो वह अंततः युद्ध हार जाती है, हिंदु जाती भी एक ऐसी ही सेना है जिसका कोई अपना लक्ष्य नहीं,शत्रु की पहचान करने कि रूचि नहीं, अपना कोई सेनापति नहीं, बात कड़वी है फिर भी मैं कहूँ गा, हिन्दूओं से ज्यादा राजनैतिक लक्ष्यहीन और दिशाहीन कोई दुसरी कौम नहीं, क्योंकि हिंदुओं के हिर्दय पटल पर  हिंदू साम्राज्य का कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, सेकुलरिज्म के रोग से पिडित हिन्दू समाज बार - बार ठगे जाने के बाद भी हिन्दूओं के रक्त के प्यासे लोगों से भाईचारा निभाने में भी कोई लज्जा नहीं आती है ।

अंग्रेजों ने शोषण और शासन के लिए जो ढाचा बनाया था, उसे ही सजानें सवारने में सात दसक गवा दिया, लोभ और भोग के आकंठ में डूबा समाज कभी भी अपने गौरवशाली अतीत कि ओर झाका तक नहीं दुसरी ओर घात लगाये बैठे मुस्लिम और ईसाई मिशनरी सनातन संस्कृति को निगल जाना चाहते हैं,

 कम्युनिस्ट हिन्दुस्तान में धर्मवहीन साम्यवादी व्यवस्था चाहते हैं, मुस्लिम शरीयत कानून वाला इस्लामिक राष्ट्र चाहते हैं, और ईसाई बाइबिल वाला केथोलिक भारत के लिए सडयंत्र रच रहा है, कम्युनिस्टों, मुस्लिम और ईसाईयों का राजनैतिक उद्देश्य स्पष्ट और जगजाहिर है। क्या हिन्दूओं में अपने अस्तित्व रक्षा के लिए कोई शेष इच्छा बची है ? दउनके पास चीन, अरब और रोम का मॉडल है, पर हिंदुओं के पास ऐसा कोई मॉडल नहीं है।


हिंदुओं से राजनैतिक लक्ष्य की बात करो, तो वह महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से मुक्ति से आगे उनकी कोई सोच नहीं होती । पर उन्हें यह पता नहीं है कि महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी जैसी बीमारियां इसी राजनैतिक लक्ष्यहीनता के कारण  है। जिस दिन हिंदू हिर्दय स्वराज, हिंदू साम्राज्य और अखण्ड भारत बनाने की महत्वाकांक्षा से भर जाएगा उस दिन भारत महगांई, बेरोजगारी और गरीबी जैसी बीमारियों से भी स्वतः मुक्त होने लगेगा ।

हिंदुओं की राजनीतिक दिशाहीनता का इतिहास सदियों पुराना  है। जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा कर दिया था, किन्तु  हिन्दू आनेवाले खतरे बेफिक्र  मूकदर्शक बना रहा, जबकि सब  जानता थे कि दूसरा पक्ष कभी भी कार्यवाही करके हमारा कत्लेआम कर सकता है ।


वर्मा, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान श्रीलंका आदि को तोड़ - तोड़ कर भारत की छोटी होती गई पर किसी ने वह प्रक्रिया दर्ज नही किया जो किया जाना चाहिए था। सन् 1947 में भारत का 31 प्रतिशत हिस्सा काटकर पाकिस्तान को  दिया गया,धर्म के आधार पर देश के बाद भी  के  मुसलमानों को भारत में बसा लिया गया जो आज फिर भारत विभाजन की मांग कर रहे हैं पर हिंदू मौन है ।


देश के लाखों एकड़ भूमि वक्फ बोर्डों को खैरात में बांटा जा रहा है, और हिन्दू समाज  संवेदनहीन होकर एक और कत्लेआम का प्रतिक्षा में बैठा है।


हिंदू समाज अपने अराध्य देव श्रीराम,श्री कृष्ण की जन्मभूमि     अयोध्या, काशी, मथुरा  तीर्थ स्थलों के उत्थान के मार्ग आरहे अड़चनों से लड़ने में अपने को असहाय है, धिरे - धिरे  पुरा देश हिंदुओं के हाथों से खिसकता जा रहा है  किन्तु वे आज तक  ये निर्धारित न कर सके कि हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए ।


एक आकड़े के अनुसार  देश  मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र में आप पायेगें कि हर साल दर्जो हिंदू परिवार अपने मकान-दुकान बेचकर निकल रहे हैं । यह त्रासदी केवल कश्मीर और केराना का नहीं है, हर राज्य, शहर - कस्बे की  है। भारत की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, देश के अंदर सैकड़ों छोटे - छोटे पाकिस्तान का मॉडल तैयार किया जा रहा है। और हिन्दू युवाशक्ति  आनेवाले तुफान से बेखबर भोग के आकंठ में गोता लगा रहे हैं ।

देश बहुसंख्यक हिन्दू समाज दृढ़ता से अपने लक्ष्य सुनिश्चित करना होगा, धर्मांतरण के विरुद्ध  सनातन संस्कृति के पोषण संरक्षण और प्रसारण के लिए घटिया कानून में संशोधन  के लिए सरकार पर दबाव बना होगा,


अभिव्यक्ति कि अजादी के नाम पर धर्म, संस्कृति और पूजा स्थलों का अपमान करेगा उसे उसकी ही भाषा में उत्तर देना होगा । सेक्युरिज्म एक रोग है, संक्रमित नेताओं का अवकात नहीं कि वे भारत को हिन्दूराष्ट्र बाने का मांग रखें, सत्ता पर कोई भी क्यों न बैठा हो  देश देश के  बहुसंख्यक समाज को ही सुनिश्चित करने का अधिकार है कि देश का मॉडल कैसा होगा देश किस दिसा में गमनं करेगा ।

अंग्रेजों द्वारा थोपे गए संविधान और शासन तंत्र को इसी प्रकार हम ढोते रहेंगे, तो एक दिन वह   दुर नही कि देश  के हर संसाधन और सत्ता पर आज के अल्पसंख्यक  का अधिक होगा  जिस दिन वहां सत्ता के शीर्ष पर कोइ अल्पसंख्यक  पहुंचेगा, उस दिन संविधान का पालन नहीं होगा बल्कि शरिया लागू कर भारत ईस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया हो जाएगा


 विश्व में उदाहरण कि कोई कमी नहीं है,अति का पारसिया आज का ईरान है । सरिया, जैसे दर्जनों देश के सस्कृति को जमीन दोह कर दिया गया भारत ने भी 800 सालों तक अत्याचारियों का त्रासदी को सहा है । संध और कश्मीर इस्लामिक आतंकवाद का नवीन उदाहरण है 




 

*अगर भारत, हिन्दू और सनातन संस्कृति का तनिक भी मोह है और इसकी रक्षा चाहते हैं तो केवल और केवल हिंदुराष्ट्र भारत के लिए संघर्षरत रहना चाहिए।


जबकि स्वराज और हिन्दुराष्ट्र अखंड भारत ही हिंदुओं की, भारत की, सनातन संस्कृति की रक्षा, सुरक्षा और पोषण की गारंटी बन सकता है

यदि आप वाकई सनातन संस्कृति की परवाह करते है और अभी भी आपके ईष्टदेव उसी संस्कृति के मर्यादा पुरुष, देवी-देवता हैं जिनसे आप मुक्ति, मोक्ष और सुख की आकांक्षा रखते हैं   

 

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