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Showing posts from November, 2022

चरण पादुका " खड़ाऊं "

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संस्कृतशब्द पादुका पद से व्युत्पन्न है । जिसका अर्थ 'पैर' है। यह साहित्यिक शब्द भारत की प्राचीन " चरण पादुका " को परिभाषित करने के लिए गढ़ी गई थी।  भारत में चरण पादुका या खड़ाऊ पहनने का प्रमाण सत्ययुग, द्वापर और त्रेता तीनों युगों मिलता है। श्री राम कथा " रामायण " में खड़ाऊं के धार्मिक महत्व को विस्तार से प्रकाशित किया गया है। खड़ाऊं का धार्मिक महत्व जितना अधिक है। उसका वैज्ञानिक महत्व भी कम नहीं है। आधुनिक शोध से यह प्रमाणित हो गया है कि खड़ाऊ पहनने से सूगर, प्रेशर जैसे असाध्य रोगों के निवारण में सहायक होता है। इसका प्रमाण वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। वैदिक काल में संत महात्मा ही नहीं समान्य जनमानस भी खड़ाऊ पहनते थे। पैरों में लकड़ी के खड़ाऊ पहनने के पीछे भी हमारे संतों की सोच पूर्णत: वैज्ञानिक थी।  गुरुत्वाकर्षण का जो सिद्धांत वैज्ञानिकों ने बाद में प्रतिपादित किया उसे हमारे ऋषि -मुनियों ने काफी पहले ही समझ लिया था। यजुर्वेद में कई जगह लकड़ी की पादुकाओं का भी उल्लेख मिलता है। शरीर में प्रवाहित हो रही विद्युत तरंगे गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी द्वारा अवशोष...

लक्ष्मण रेखा

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लक्ष्मण रेखा के बारे मेंआप सभी जानते हैं रामायण कथा के वनवास प्रसंग में इस पर विस्तार से प्रकार डाला गया है  पर "लक्ष्मण रेखा " का असली नाम शायद  सभी को पता नहीं हो । लक्ष्मण रेखा वास्तव में एक शस्त्र विधा है जिस का नाम " सोमतिती  विद्या " है  साधना और संधान कर लक्ष्मण जी इस विद्या के इतने पारंगत हो गये थे कि कालांतर में " सोमतिती विद्या " लक्ष्मण रेखा के नाम से विख्यात हो गया त्रेता युग अर्थात महाभारत युद्ध काल में भी इस विधा अन्तिम प्रयोग हुआ था श्रृंगी ऋषि कहते हैं कि योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण इस विद्या को जानने वाले अंतिम महापुरुष थे उन्होंने  धर्मयुद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान के चारों तरफ एक रेखा खींच दी थी ताकि युद्ध में प्रयोग किये जाने वाले भयंकर और विनाशकारी अस्त्र शस्त्रों के अग्नि व परमाणु  ताप युद्धक्षेत्र के बाहर जाकर दूसरे प्राणियों को क्षति न करे  हमारे ऋषियों मुनियों ने सैकड़ों रहस्यमय विधा आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र, ब्रह्मास्त्र का खोज और संधान किया था जो आज भी विज्ञान के लिए आश्चर्य का विषय है  " सोमतिती विधा " उसका एक सटीक उदाहर...

बेट द्वारिका में जेहादी साजिश

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 गुजरात हाई कोर्ट ने बेट द्वारिका के दो द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के सपने को चकनाचूर कर दिया है। गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी बेट द्वारिका के दो द्वीपों पर अपना दावा ठोका है। वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन में दावा किया है कि बेट द्वारका केदो द्वीपों पर स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।  गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि श्री कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं। और न्यायालय ने उनके याचिका को भी खारिज कर दिया। इस समय गुजरात में इस विषय पर चर्चा का बाजार गर्म है। सोशल मीडिया के माध्यम से षड़यन्त्र का पर्दाफाश हुआ वरना पता ही नहीं चलता। कैसे पलायन होता है ? कैसे भूमि पर कब्जा होता है ? भूमि (लैंड ) जिहाद होता क्या है ? इसे समझने के लिए आप को बस बेट द्वारिका द्वीप के वर्तमान स्थित का संक्षिप्त  अध्यन करना होगा तो सब कुछ साफ जायेगा। ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला बेट द्वारिका कुछ वर्षों पहले तक हिन्दू बहुल क्षेत्र था । यहाँ का अधिकांश आबादी हिन्दूओं की थी  यहाँ आने - जाने का एकमात्र रास्ता जल मार्ग  है। बे...